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Monday 3 September 2012

रविकर-पत्नी किन्तु, हड़पती कुल कंगालों-


सालों घर को सजा के, सजा भोगती अन्त । 
रक्त-मांस सर्वस्व दे, जो जीवन पर्यंत ।

जो जीवन पर्यंत, उसे वेतन का हिस्सा ।
लाएगी सरकार, नया बिल ताजा किस्सा ।

रविकर-पत्नी किन्तु,  हड़पती कुल कंगालों ।
 कुछ तो करो उपाय,  एक बिल लाना सालों ।।

4 comments:

  1. परेशान व्यक्ति हर दिशा में भागता है.
    सही तक भी पहुँच ही जाता है कभी न कभी .

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  2. अब रतो ये बिल आ गया ... पास भी हो जाना चाहिए अब ...

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  3. साले बिल में घुस जायेंगे
    अगर आप ऎसे हड़कायेंगे !

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  4. आज का समाचार ||

    कैबिनेट में एक बिल आने वाला है-
    पति के वेतन का एक हिस्सा पत्नी के लिए सुनिश्चित किया जायेगा, ताकि जीवन काल में उसे आर्थिक परेशानी न हो --
    एक स्वागत योग्य कदम ||

    पर रविकर की पत्नी के हाथ तो पूरा वेतन ही लगता है-
    निर्मल हास्य |
    पत्नी की तरफदारी उसके भाई से अच्छा कौन करेगा -
    आभार-
    कुछ परिवर्तन सुझाएँ -
    सादर ||

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