मची हाय-तोबा विकट, सड़कों पर कुहराम |
राम नाम ही सत्य है, करे प्रदर्शन जाम |
राम नाम ही सत्य है, करे प्रदर्शन जाम |
करे प्रदर्शन जाम, कहा की है यह ताकत |
ताकत माया बाम, मुलायम ममता झाँकत |
अन्दर लिखते सीन, करें बाहर सब नाटक |
शतक पाप शिशुपाल, नहीं न, गर्दन काटत ||
पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा-रविकर
सुवन सातवाँ सिलिंडर, माया लड़की रूप ।
छूट उड़ी आकाश की, वाणी सुन रे भूप ।
वाणी सुन रे भूप, कंस कंगरसिया मामा।
पैदा खुदरा पूत, आठवां कृष्णा नामा ।
लेगा तेरे प्राण, यही वह पुत्र आठवाँ ।
किचेन देवकी जेल, कहे है सुवन सातवाँ ।।
सिली सिलिंडर सनसनी, मेहरबान मक्कार |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार सरकार |
प्रोसेस्ड खाने का करे, अब प्रचार सरकार |
अब प्रचार सरकार, पुरातन भोजन भूलो |
पाक कला त्यौहार, भूल कर केक कुबूलो |
फास्ट फूड भरमार, तरीके नए सोचिये |
पाई फुर्सत नारि, सतत अब नहीं कोंचिये ||
गैस सिलिंडर चलेगा पूरे दो महीने : है न उपाय-
दाने खा लो अंकुरित, पी लो सत्तू घोल ।
पाव पाइए प्रेम से, ब्रेड पैकेट लो मोल ।
ब्रेड पैकेट लो मोल, लंच में माड़-भात खा ।
काटो मस्त सलाद, शाम को मूढ़ी चक्खा ।
चाय बना इक बार, डालिए हॉट पॉट में ।
फास्ट फूड दो मिनट, पकाओ एक लाट में ।।
आशा है मेहमान की, होना नहीं निराश ।
खिला बताशा दे पिला, पानी बेहद ख़ास ।
पानी बेहद ख़ास, पार्टी उससे मांगो ।
करिए ढाबा विजिट, शाम को बाहर भागो ।
ख़तम होय न गैस, गैस काया में पालो ।
न तलना ना भून, सदा हर चीज उबालो ।।
मा मू ली बा पु-रा-जमा, जल डी-जल जंजाल ।
गैस सिलिंडर सातवाँ, छील बाल की खाल ।
छील बाल की खाल, सुबह का हुआ नाश्ता ।
चार चने की दाल, लंच में चले पाश्ता ।
फास्ट फूड ब्रेड जैम, किचेन माता जी भूली ।
मूली गाजर काट, बने मुश्किल मामूली ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त -
चाटुकार *चंडालिनी, चले चाट सामन्त ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।
आग लगे डीजल जले, तले *पकौड़ी पन्त ।
तले पकौड़ी पन्त, कीर्ति मँहगाई गाई ।
गैस सिलिन्डर ख़त्म, *कोयले की अधमाई ।
*इडली अल्पाहार, कराये भोजन *जिंदल ।
इटली *पीजा रात, मनाते मोहन मंगल ।।
प्रश्न : तारांकित शब्दों के अर्थ बताएं ।।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई
बावन शिशु हरदिन मरें, बड़ा भयंकर रोग ।
खाईं में जो बस गिरी, उसमें बासठ लोग ।
उसमें बासठ लोग, नाव गंगा में डूबी ।
दंगे मार हजार, पुलिस नक्सल बाखूबी ।
गिरते कन्या भ्रूण, पड़े अब खूब दिखाई ।
बने नहीं पर न्यूज, लाख मारे मँहगाई ।।
चाबुक रहा खखोर, बड़ी यह चमड़ी मोटी |
न कसाब न गुरू, घुटाला हाला घोटी |
लेकिन दर्पण अगर, दिखा दो इसको कोई |
भौंक भौंक मर जाय, लाश पर लज्जा रोई ||
लेकिन दर्पण अगर, दिखा दो इसको कोई-
मगन मना मानव मुआ, याद्दाश्त कमजोर |
लप्पड़ थप्पड़ छड़ी अब, चाबुक रहा खखोर |
लप्पड़ थप्पड़ छड़ी अब, चाबुक रहा खखोर |
चाबुक रहा खखोर, बड़ी यह चमड़ी मोटी |
न कसाब न गुरू, घुटाला हाला घोटी |
लेकिन दर्पण अगर, दिखा दो इसको कोई |
भौंक भौंक मर जाय, लाश पर लज्जा रोई ||
दादा बहुत आला !है !बधाई .
ReplyDeleteram ram bhai
शनिवार, 15 सितम्बर 2012
सज़ा इन रहजनों को मिलनी चाहिए
आपके यह दोहे सौगात हैं समझने वालो के लिए ! आभार रविकर भाई ...
ReplyDeleteएक से बढ़कर कर एक दोहे हैं सर बहुत खूब
ReplyDeleteसरकार की पूरी माया लिख दी आपने ..
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteएक से बढ़कर कर एक दोहे