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Tuesday, 25 September 2012

अपना मतलब गाँठ, जानते दुष्ट छोड़ना-


मन की गाँठों से सदा, बढ़ता दुःख अवसाद ।
मन की गाँठे खोल दे, पाए मधुरिम स्वाद ।
पाए मधुरिम स्वाद, गाँठ का पूरा कोई ।
चले गाँठ-कट चाल, पकड़ के खुपड़ी रोई ।
रविकर लागे श्रेष्ठ, सदा ही गाँठ जोड़ना ।
अपना मतलब गाँठ, जानते दुष्ट छोड़ना ।।

7 comments:


  1. गांठ जोड़ना /गांठ खोलना /गांठ कट आदि मुहावरों और लोकोक्तियों का बेहतरीन काव्यात्मक प्रयोग .बधाई भाई साहब .आप अप्रतिम हैं

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  2. आपके कमेन्ट जगह-जगह पढ़ कर आकर्षित हो यहाँ आई और रोज नया सीखने को मिल रहा है ...
    जैसे :- गाँठ-कट चाल* पहली बार जानी ......

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  3. बहुत खूब कही है रविकर जी. उत्तम.

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  4. बढ़िया काव्यात्मक बोध से सज्जित टिपण्णी हैं सभी की सभी .

    ग़ठ बंधनिया सरकार भरे नित सबका पानी ,

    करें प्रणाम नित सबकू ग्यानी .

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  5. @-माफ कीजिएगा पूंछ को सीधा करना मेरे बस की बात नहीं है- पूँछ-ताछ में आ गई, कैसे टेढ़ी पूँछ | शब्दों की यह कृपणता, हुवे हाथ क्या छूँछ | हुवे हाथ क्या छूँछ , करे यह कोई छूछू | मर्यादित व्यवहार, डंक तो मारे बिच्छू | वन्दनीय हे साधु, कर्म करते ही जाना | असहनीय यह डंक, किन्तु सच सदा बचाना || आधे सच का आधा झूठ पर
    सामग्री निकालें | हटाएं | स्पैम

    इस उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया .इस समय इसकी बहुत ज़रुरत थी .वैसे बरसों की साध रविकर जी आज पूरी हुई ,आज एक शख्श ने हमको गाली दी .कोलिज में पढ़ाते थे तो बड़ा तरसते थे कोई

    अफवाह उड़े हमें भी लेके .बड़ा खराब इमेज था सब पढ़ाकू ही समझते थे .कईयों को पैसे भी दिए भाई ये अफवाह हमारे बारे में उड़ा दो .पर अपना नसीब ऐसा कहाँ था .

    आज घर बैठे -बैठे "राम राम भाई " ने काम करा दिया .

    एक शैर याद आ रहा है -

    कितनी आसानी से मशहूर किया है खुद को ,

    मैंने आज अपने से बड़े शख्श को गाली दी है .

    वक्र मुखी का शुक्रिया .

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  6. टूटे- रिश्ते जोड़ती , गाँठ मिलाती योग
    भले काम के वास्ते ,इसका करें प्रयोग
    इसका करें प्रयोग,आप हर गठबंधन में
    सात उम्र का साथ, बाँधती प्रेमांगन में
    जीवन के दिन चार, न कोई साथी छूटे
    गाँठ मिलाती योग , जोड़ती रिश्ते टूटे ||

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