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Monday, 26 August 2013

ठेले बरबस खींचते, मन भर भर के प्याज


ठेले बरबस खींचते, मन भर भर के प्याज | 
पिया बसे परदेश में, यहाँ छिछोरे आज |

यहाँ छिछोरे आज, बड़ा सस्ता दे जाते |
रविकर नाम उधार, तकाजा करने आते |

आया है सन्देश, बड़े हो रहे झमेले |
जल्दी रुपये भेज, खड़े घर-बाहर ठेले - 

3 comments:

  1. आपकी यह सुन्दर रचना दिनांक 30.08.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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