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Sunday 4 November 2012

तर्क-संगत टिप्पणी की पाठशाला--


 "क्षमा -याचना सहित"
हर  लेख  को  सुन्दर कहा,  श्रम  को  सराहा हृदय से, 
अब  तर्क-संगत  टिप्पणी  की  पाठशाला  ले  चलो ||
Traditional Roses Mala
खूबसूरत  शब्द  चुन  लो,  भावना  को  कूट-कर के
माखन-मलाई में मिलाकर, मधु-मसाला  ले  चलो  |





विज्ञात-विज्ञ  विदोष-विदुषी  के विशिख-विक्षेप मे |
इस वारणीय विजल्प पर, इक विजय-माला ले चलो |  
वारणीय=निषेध करने योग्य     विजल्प=व्यर्थ बात      विशिख=वाण  
            विदोष-विदुषी=  निर्दोष विदुषी                 विज्ञात-विज्ञ= प्रसिध्द विद्वान       

    

क्यूँ   दूर  से  निरपेक्ष  होकर,  हाथ  करते  हो  खड़े -
ना आस्तीनों  में  छुपाओ,  तीर - भाला  ले  चलो ||

टिप्पणी के गुण सिखाये, आपका अनुभव सखे,
चार-छ: लिख कर के  चुन लो, मस्त वाला ले चलो ||


लेखनी-जिभ्या जहर से जेब में रख लो, बुझा कर -
हल्की सफेदी तुम चढ़ाकर,  हृदय-काला  ले  चलो |

टिप्पणी जय-जय करे,  इक लेख पर दो बार हरदम-
कविता अगर 'रविकर' रचे तो, संग-ताला ले चलो |

 

8 comments:

  1. वाह रविकर सर क्या बात है हर दिन कुछ न कुछ नया लाते हैं हम सबके मन बहलाते हैं। आपकी जय हो।

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  2. बहुत अच्छा श्रीमान जी !!

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  3. सच कहती रचना।


    सादर

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 6/11/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।

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  5. टिप्पणी जय-जय करे, इक लेख पर दो बार हरदम-
    कविता अगर 'रविकर' रचे तो, संग-ताला ले चलो |
    :)

    रचनाओं पर छंद के रूप में त्वरित और सार्थक टिप्पणी देने का आपका अंदाज सभी पसन्द कर रहे हैं|

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  6. और यदि .....

    रंज रचनाकार से, न झांको रचना की ओर

    रास्ता नापते चलो ......

    टिपण्णी के गुर के लिए बहुत बहुत बधाई

    .......सादर!

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  7. कुछ न कहने से कुछ कहना ही बेहतर है!
    यहाँ आये होंगे तो रचनाएँ तो पढ़ी ही होंगी!

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