आम पाल के खा चुके , जिसमें भरे बवाल |
पका केमिकल से मगर, बिगड़े बिगड़े हाल |
बिगड़े बिगड़े हाल, केमिकल जहरीला था |
नहीं रहा स्वादिष्ट, दीखता बस पीला था |
प्राकृतिक सुस्वाद , खाइए आम डाल के |
रखो स्वजन का ख्याल, छोडिये आम पाल के ||
अपना तो देशी भला, पाचक लागे नीक ।।
सब को जल्दी है
ReplyDeleteपकाने की
किसी पडी़ है
थोड़ा सा रुक जाने की !!!
रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर। नेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
Deleteयह रसाल है पाल का,भीतर पाले रोग
ReplyDeleteचटपट में मत भूलिए,कैसे रहें नीरोग!
आज फिर आम डाल के खाए ,
ReplyDeleteबाबा बहुत याद आए ,लगाए पेड़ उन्होंने थे ,आम के ,
छोड़ा चस्का पाल का ,खाओ आम डाल का .बढ़िया प्रस्तुति .
ग्रीन खाओ ,ग्रीन रहो ,ग्रीन हो जाओ .