20 OCTOBER, 2013
रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें
लखनऊ से-
(१)
जाने ये क्या हो रहा, सपने पर इतबार । 
मर्यादा स्वाहा हुई, जीता धुवाँ-गुबार । 
जीता धुवाँ गुबार, खुदाई चालू आहे । 
रही हिलोरें मार, निकम्मी रविकर चाहें । 
बाबा तांत्रिक ढोंग, लगे फिर रंग जमाने । 
होय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने ॥ 
22 OCTOBER, 2013
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली
गंडा बाँधे फूँक कर, थू थू कर ताबीज |
गड़ा खजाना खोद के, रहे हाथ सब मींज |
रहे हाथ सब मींज, मरी चुहिया इक निकली |
करे मीडिया मौज, उड़ा के ख़बरें छिछली |
रकम हुई बरबाद, निकलते दो ठो हंडा |
इक तो भ्रष्टाचार, दूसरा  प्रोपेगंडा |
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बाबा तांत्रिक ढोंग, लगे फिर रंग जमाने ।
ReplyDeleteहोय हाथ में खाज, खोजते लोग खजाने ॥ ,,,वाह क्या बात है
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