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Saturday, 3 November 2012

भेंटे नब्बे खोखे नोट-भांजे दर्शन अफलातून ।

 गजल कहने की कोशिश जारी है-

मोटी-चमड़ी पतला-खून ।
नंगा भी, पहने पतलून  ।

भेंटे नब्बे खोखे नोट -
भांजे दर्शन, अफलातून ।

भुना शहीदी, दादी-डैड
*शीर्ष-घुटाले, लगता चून ।
 *सिर मुड़ाना  / चोटी के घुटाले 

 पंजा बना शिकंजा खूब-
मातु-कलेजी, खाए भून ।

मिली-भगत सत्ता-पुत्रों से 
लूटा तेली, लकड़ी-नून । 

दस हजार की रविकर थाल
उत फांके हों, दोनों जून ।।

1 comment:

  1. मिली-भगत सत्ता-पुत्रों से लूटा तेली, लकड़ी-नून
    excellent

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