गजल कहने की कोशिश जारी है-
मोटी-चमड़ी पतला-खून ।
नंगा भी, पहने पतलून ।
भेंटे नब्बे खोखे नोट -
भांजे दर्शन, अफलातून ।
भुना शहीदी, दादी-डैड
*शीर्ष-घुटाले, लगता चून ।
*सिर मुड़ाना / चोटी के घुटाले
पंजा बना शिकंजा खूब-
मातु-कलेजी, खाए भून ।
मिली-भगत सत्ता-पुत्रों से
लूटा तेली, लकड़ी-नून ।
दस हजार की रविकर थाल
उत फांके हों, दोनों जून ।।
मिली-भगत सत्ता-पुत्रों से लूटा तेली, लकड़ी-नून
ReplyDeleteexcellent