गजल की एक और कोशिश-
हारे हो बाजी ।
छोड़ो लफ्फाजी ।
होती है गायब -
वो कविताबाजी ।।
पल में मर जाती
रचनाएं ताज़ी ।।
दिल्ली से लौटे -
होते हैं हाजी ।।
पाजी शहजादा
मुश्किल में काजी ।।
रिश्वत पर आधी ।
रविकर भी राजी ।।
|
वाह रविकर सर क्या बात है लाजवाब रचना बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteपल में मर जाती रचनाएं ताज़ी
ReplyDeleteलाजवाब रचना