सहमत होने पर हिले, जब हल्का सा शीश ।
हुवे असहमत तो भले, क्यूँ जाते हो रीश ?
क्यूँ जाते हो रीश, पटकते बम क्यूँ भाई ?
पटक रहे अति विकट, पड़े क्या उन्हें सुनाई ?
प्रकट करो निज भाव, कहो ना बुरा भला कुछ ।
सीखो संयम धैर्य, गया ना चला कहीं कुछ ।
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प्रकट करो निज भाव, कहो ना बुरा भला कुछ ।
ReplyDeleteसीखो संयम धैर्य, गया ना चला कहीं कुछ ।
किसको देते सीख ,बने हुए सब ढीठ
उत्तम कविता
ReplyDeleteएकदम सही बात है।
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