रविकर-पुंज
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Tuesday, 20 November 2012
हे नारी शक्ति प्रणाम -होम-मिनिस्टर कर रहे, शाँति-समागम होम
होम-मिनिस्टर कर रहे, शाँति-समागम होम ।
समा रहा गम रोम में, धुँआ होम का रोम ।
धुँआ होम का रोम, मिनिस्टर हुवे विदेशी ।
रहा उन्ही का वित्त, विगाड़े हालत वेशी ।
जी डी पी बढ़ जाय, खर्च भी बढ़ता रविकर ।
किचेन कैबिनेट पस्त, मस्त हैं होम मिनिस्टर ।।
2 comments:
virendra sharma
20 November 2012 at 21:34
बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .संक्षिप्त और मनोहर .
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प्रतिभा सक्सेना
21 November 2012 at 13:40
वाह,क्या वाग्वाण चलाये हैं!
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बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .संक्षिप्त और मनोहर .
ReplyDeleteवाह,क्या वाग्वाण चलाये हैं!
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