रविकर-पुंज
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Sunday, 19 August 2012
जल गया वर, जी रहा है किन्तु रविकर -
आज हम फूंके गए श्मशान में -
पांच मन लकड़ी जली-टायर जले-
केरोसिन लगा था, दिल-जला ।
ताकती आँखे हमारी अश्रु भरकर -
एक पूरब से इशारे कर रही-
दूसरी ने सर हिला कर न कहा ।
दे दिया था किडनियाँ भी और लीवर -
जल गया वर, जी रहा है किन्तु रविकर ।।
1 comment:
SM
22 August 2012 at 12:37
दे दिया था किडनियाँ भी और लीवर जल गया वर, जी रहा है किन्तु रविकर
kya kehna
beautiful
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दे दिया था किडनियाँ भी और लीवर जल गया वर, जी रहा है किन्तु रविकर
ReplyDeletekya kehna
beautiful