बांछे खिलना
बाँझिन को हो पुत्र रत्न, बने बांगड़ू बीर |
मिले हूर लंगूर को, सेंठा मारक तीर |
सेंठा मारक तीर, बने तो बांछे खिलती |
विकसित मानस कली, मुरादें यूँ हीं मिलती |
आठ पर्व नौ बार, फूल कर कुप्पा होना |
कुप्पी का क्या काम, बेंच कर घोडा सोना ||
ख़्वाब देखना
अनलिमिटेड सपने दिखा, ठगे गुरू घंटाल |
लुटते औंधे मुंह पड़े, समय माल कंगाल |
समय माल कंगाल, धकेले बदहाली में |
ऊँचे ऊँचे ख़्वाब, बहे गन्दी नाली में |
पहले लो मुंह धोय, और औकात आँक लो |
तदनुसार हों ख़्वाब, उछलकर ऊँच झाँक लो ||
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteबधाई
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .आभार आपका ,लिखवाया हिंदी में भी आलेख ऑर्डर देकर . ..कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं .
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html