कभी कभी कानून को, लगता कत्था चून।
ममता को झटका लगा, कोस रही कानून ।
कोस रही कानून, न्याय अक्सरहां धूमिल ।
कठिन प्रक्रिया भून, जलाए पावर घुलमिल ।
ममता हैं तैयार, जेल जाने को रविकर ।
करके अवमानना, न्याय से लेती टक्कर ।।
कडुवी सच्ची बात को, करिए न यूँ व्यक्त ।
ऊँगली नहीं उठाइए, न्याय बहुत ही सख्त ।
न्याय बहुत ही सख्त, खरीदें राय बहादुर ।
वक्त वक्त की बात, बदल जाते हैं सुर ।
जिसकी लाठी भैंस, वही ले जाता मैया ।
सी एम् रही चहेट, फंसी जब भूल-भुलैया ।।
लम्बी खींच दी पूँछ !
ReplyDeleteसज़ा सुनाने वालों के भ्रष्टाचार की पोल खोलना कोई मज़ाक नहीं है।
ReplyDeleteअच्छी पोल खोली है आपने!!
ReplyDeleteनिचोड़ के मारा है "निर्ममता " कुतर्की को ....बढ़िया प्रस्तुति ...ये ढेड़ नारियां सेकुलर कहलातीं हैं ,"न्याय" को अपनी रखैल(मिलकियत ) बतातीं हैं ...
ReplyDeleteसमझ नहीं आता जनता को उस बेवकूफ औरत में क्या खास नज़र आता है जो उसको वोट देती है. बोलती है तो लगता है जैसा कचरा बीनने वाली किसी से झगडा कर रही है
ReplyDeleteकितनी भी खोलो यहाँ फटे ढोल की पोल ,फटे बांस की बांसुरी बजे यहाँ बे -जोड़ क्या करें रविकर भैया ,मरखनी है ये गैया ......ram ram bhai
ReplyDeleteशुक्रवार, 17 अगस्त 2012
गर्भावस्था में काइरोप्रेक्टिक चेक अप क्यों ?
गर्भावस्था में काइरोप्रेक्टिक चेक अप क्यों ?
ममता को ज़रूर सबक मिलना चाहिए !
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