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Wednesday, 18 July 2012

द्वार द्वार पर जाय, जगाय "हमारी वाणी" -रविकर

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वाणी अपनी श्रेष्ठतम, तम हरती दिन-रात |
सद्पथ करती अग्रसर,  ब्लॉगों की बारात |

ब्लॉगों की बारात, सफ़र यह दो सालों का |
बड़ी मुबारकवाद,  मिला रविकर को मौका |

आयोजक आभार, कर्म कुल जग-कल्याणी |
द्वार द्वार पर जाय, जगाय "हमारी-वाणी" |

1 comment:

  1. सुन्दर प्रस्तुति .बधाई .

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