रविकर-पुंज
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Thursday, 5 July 2012
दुर्लभतम अपराध, भूलते राजा-पाटिल
कातिल दुष्कर्मी फँसा, फाँसी देता कोर्ट ।
रहम याचिका लगा के, ताके नित रेड-फोर्ट ।
ताके नित रेड-फोर्ट, दीखता खुटका-खीजा ।
चीखी वो निर्दोष, कलेजा नहीं पसीजा ।
दुर्लभतम अपराध, भूलते राजा-पाटिल।
साफ़ ठगा इन्साफ, दूसरी ढूंढे कातिल ।।
2 comments:
virendra sharma
5 July 2012 at 07:36
बहुत बढ़िया व्यंग्य है हरजाई व्यवस्था पे ,याचिका व्यवस्था पे .
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संतोष त्रिवेदी
5 July 2012 at 18:09
अब अगला शिकार देखते हैं कौन होगा ?
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बहुत बढ़िया व्यंग्य है हरजाई व्यवस्था पे ,याचिका व्यवस्था पे .
ReplyDeleteअब अगला शिकार देखते हैं कौन होगा ?
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