तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज
बहुत कठिन है डगर पनघट की .....
संजय @ मो सम कौन ?
कर्तव्यों की इतिश्री, बच्चे बनते बोझ ।
तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज ।
रिंग-कटर ली खोज, पुरानी हुई अंगूठी ।
दिखा रास्ता सोझ, गजब अपनों से रूठी ।
किन्तु रास्ता ख़त्म, सामने लम्बी खाईं ।
विवाहेत्तर कोढ़, समझ में किसके आई ??
सही में ....
ReplyDeleteविवाहेत्तर कोढ़, समझ में किसके आई ??
सुंदर ...
बहुत सुंदर
ReplyDeleteकोढ़ में खाज ...बढिया प्रस्तुति भाई ,
ReplyDeleteबीवी को खरी खोती सुनाई ,
किसकी शामत आई ?