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Sunday, 15 July 2012

तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज-

तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज

बहुत कठिन है डगर पनघट की .....

संजय @ मो सम कौन ?

 
 कर्तव्यों की इतिश्री, बच्चे बनते बोझ ।
तन की खुजली यूँ बढ़ी, रिंग-कटर ली खोज ।

रिंग-कटर ली खोज, पुरानी हुई अंगूठी ।
दिखा रास्ता सोझ, गजब अपनों से रूठी ।

 
किन्तु रास्ता ख़त्म, सामने लम्बी खाईं ।
विवाहेत्तर कोढ़, समझ में किसके आई ?? 

3 comments:

  1. सही में ....
    विवाहेत्तर कोढ़, समझ में किसके आई ??
    सुंदर ...

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  2. बहुत सुंदर

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  3. कोढ़ में खाज ...बढिया प्रस्तुति भाई ,

    बीवी को खरी खोती सुनाई ,

    किसकी शामत आई ?

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