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Monday, 2 July 2012

प्रांत कई बदहाल, प्रणव पर तनातनी है-

पैसे उगते पेड़ पर , मनमोहनी ख़याल ।
सहमत दिखते  हैं कई, यूरोपी कंगाल ।

यूरोपी कंगाल, कम्पनी ईस्ट बनी है ।
प्रांत कई बदहाल, प्रणव पर तनातनी है ।

निरहू नवनिर्माण, पाय के पैकेज ऐसे ।
हिंदुत्व-वाद कबाड़, करे नित पैसे पैसे ।।

4 comments:

  1. निरहू नवनिर्माण, पाय के पैकेज ऐसे ।
    हिंदुत्व-वाद कबाड़, करे नित पैसे पैसे ।।
    करतब देखो रोज़ करें हैं कैसे कैसे ?
    बढिया प्रस्तुति .

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  2. बढ़िया कहा है.

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  3. सब पैसे का खेल है,कबिरा इस संसार|
    तू भी थैली भर तभी ,चले तेरा घर-बार ||

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