बेड़ा गर्क हो आमिर खान का
मेरी - टिप्पणी
(1)
आमिर बेडा गर्क हो, तुझे पड़े क्या फर्क |
सत्ता का खर्चा चले, जाय व्यवस्था दर्क |
जाय व्यवस्था दर्क, अर्थ बिन सत्ता कैसी |
बिना पिए ही दर्प, उठा ली लाठी भैंसी |
सरकारी व्यापार, ज़रा ठप तो करवाना |
बहुत बहुत आभार, हमें तब फिर समझाना ||
(2)
बीबी की सहते रहो, हरदम हरदिन धौंस |
आफत आमिर दे बढ़ा, कह रविकर बेलौस |
कह रविकर बेलौस, कतरनी किच किच करती |
रहूँ अगर मदहोश, तभी वह थोडा डरती |
अल्कोहल एब्यूज, दिया है नंबर जबसे |
कर दी पूरा फ्यूज, डराती रहती तबसे ||
(3)
दवे दलित दारू दवा, पीता कम्बल ओढ़ |
अंग्रेजी आमिर अमर, धन दौलत से पोढ़ |
धन-दौलत से पोढ़, तोड़ते हाड़ खेत में |
फटे बिवाई गोड़, निकाले तेल रेत में |
दर्द देह चित्कार, रात में सो न पाए |
सत्ता का खर्चा चले, जाय व्यवस्था दर्क |
जाय व्यवस्था दर्क, अर्थ बिन सत्ता कैसी |
बिना पिए ही दर्प, उठा ली लाठी भैंसी |
सरकारी व्यापार, ज़रा ठप तो करवाना |
बहुत बहुत आभार, हमें तब फिर समझाना ||
(2)
बीबी की सहते रहो, हरदम हरदिन धौंस |
आफत आमिर दे बढ़ा, कह रविकर बेलौस |
कह रविकर बेलौस, कतरनी किच किच करती |
रहूँ अगर मदहोश, तभी वह थोडा डरती |
अल्कोहल एब्यूज, दिया है नंबर जबसे |
कर दी पूरा फ्यूज, डराती रहती तबसे ||
(3)
दवे दलित दारू दवा, पीता कम्बल ओढ़ |
अंग्रेजी आमिर अमर, धन दौलत से पोढ़ |
धन-दौलत से पोढ़, तोड़ते हाड़ खेत में |
फटे बिवाई गोड़, निकाले तेल रेत में |
दर्द देह चित्कार, रात में सो न पाए |
कैसा पैसा प्यार, देह के काम न आये ||
प्रसंगानुकूल काव्यात्मक टिपण्णी .बढिया ,बहुत बढ़िया .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसमयानुकूल जलेबियाँ...
ReplyDeleteजलेबियाँ... उम्दा प्रस्तुति..
ReplyDelete