दामिनी.....नहीं मिलेगा तुम्हें न्याय
रश्मि शर्मा
बालिग़ जब तक हो नहीं, चन्दा-तारे तोड़ ।
मनचाहा कर कृत्य कुल, बाहें रोज मरोड़ ।
बाहें रोज मरोड़, मार काजी को जूता ।
अब बाहर भी मूत, मोहल्ले-घर में मूता ।
चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग ।
फिर चाहे तो मार, अभी तो तू नाबालिग ।।
अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |
अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||
दामिनी.....नहीं मिलेगा तुम्हें न्याय
रश्मि शर्मा
बालिग़ जब तक हो नहीं, चन्दा-तारे तोड़ ।
मनचाहा कर कृत्य कुल, बाहें रोज मरोड़ ।
बाहें रोज मरोड़, मार काजी को जूता ।
अब बाहर भी मूत, मोहल्ले-घर में मूता ।
चढ़े वासना ज्वार, फटाफट हो जा फारिग ।
फिर चाहे तो मार, अभी तो तू नाबालिग ।।
अंधी देवी न्याय की, चालें डंडी-मार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
पलड़े में सौ छेद हैं, डोरी से व्यभिचार |
डोरी से व्यभिचार, तराजू बबली-बंटी |
देता जुल्म नकार, बजे खतरे की घंटी |
अमरीका इंग्लैण्ड, जुर्म का करें आकलन |
कड़ी सजा दें देश, जेल हो उसे आमरण ||
क्या करें अँधा-क़ानून है, अंधे संरक्षक !
ReplyDeleteओ !भाई बचके रहना मैं ना -बालिग़ हूँ .बहना आगे पीछे देखके चलना मैं ना -बालिग़ हूँ .क़ानून मेरे पीछे है मेरी शक्ल देख लागू होता है .मैं हूँ 17 साल पांच महीना .सात महीने बाद भारत को निहाल कर देता .चार चाँद लगा देता इंडिया को .
ReplyDeleteकानून तो अँधा है ही ,बनाने वाले पर संदेह हो रहा है
ReplyDeleteNew post तुम ही हो दामिनी।
भावनात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुति विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने इच्छा मृत्यु व् आत्महत्या :नियति व् मजबूरी
ReplyDeleteदुखद है
ReplyDeletenice
ReplyDeleteSADHI HUI RACHNAAYEN...SHABDON PER GAHRI PAKAD...
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