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Sunday, 20 January 2013

हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक-


बोल अब तो-बा-शिंदे-रविकर




बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम  ।
सरल हृदय अपना बना,  देखे उनमें राम ।
 देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।

पाले हिन्दुस्थान,  युगों से जीव-परिंदे ।
यह सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।
 तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो  रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।। 

सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ-

सोये आतंकी पड़े, छाये भाजप संघ |
आरोपी तैयार है, आओ सीमा लंघ ||
जैसे मन वैसे संहारो ||
 पेट फटे नक्सल लटे, डटे बढे उन्माद  |
गले कटे भारत बटे, लो आंसू पर दाद |
खाली कुर्सी चलो पधारो ||

बढती मँहगाई गई, गाई गई प्रशस्ति |
मौतें होतीं भूख से, बने स्वयंभू स्वस्ति |
बनो सहारा नारों ना रो ||

डीजल भी जलने लगा, लगी रेल में आग |
वाह वाह अपनी करे, काँव काँव कर काग |
सावधान हो जाव शिकारों ||

चालीसवां दामिनी का, निकले आंसू आज |
कैसा यह चिंतन सखे, आस्कर इन्हें नवाज |
चालू है नौटंकी यारो ||


मिली मुबारकवाद मकु, मणि शंकर अय्यार ।
शिंदे फर्द-बयान से, जाते पलटी मार ।

जाते पलटी मार , भतीजा होता है खुश।
नकारात्मक वार, कभी हो जाता दुर्धुष । 

हिन्दु-वाद-आतंक, शब्द लगते हैं मारक ।
हर्षित फूंके शंख, मित्र से मिली मुबारक ।।

जिसने भी भाषण लिखा, ज्ञान-पीठ दो यार ।
ठोक पीठ को प्यार से, प्रकट करो आभार ।
प्रकट करो आभार, भावनामयी प्रभावी ।
आँसू मस्ती प्यार, हमारे पी एम् भावी ।
डी एन ए की बात, सुझाई है पर किसने ।
वह ही हिन्दुस्तान, कहा कांग्रेसी जिसने ।।

3 comments:

  1. सुन्दर..सच्चाई है..अय्यार शब्द का प्रयोग बहुत अच्छा लगा.

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  2. जिसने भी भाषण लिखा, ज्ञान-पीठ दो यार ।
    ठोक पीठ को प्यार से, प्रकट करो आभार ।

    मूर्ख वोटरों की नब्ज टटोलकर भाषण लिखवार भीतरघातियों की कोइ कमी है क्या इस देश में?

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