रविकर-पुंज
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Tuesday, 15 January 2013
मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की-
घर की मुर्गी नोन है, घर का भेदी पाल ।
पेट फाड़ के बम रखे, काटे गला हलाल ।
काटे गला हलाल, उछाले जाते हर दिन ।
चिंतित अंतरजाल, कौन ले बदला गिन-गिन ?
पहला दुश्मन पाक, दूसरे नक्सल ठरकी ।
मरने दो यह पुलिस, बात आखिर है घर की ।।
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