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Monday, 28 January 2013

अपना सेक्युलर राज, लाज ना आती इस को-

अफ़सोस !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
रहे रिपु-दमन हैं विछा, पलक-पाँवड़े आज |
माँगे नोबुल शान्ति का, अपना सेक्युलर राज |

अपना सेक्युलर राज, लाज ना आती इस को |
उस दुश्मन पर नाज, सजा देनी है जिस को |

दिग्गी-शिंदे साब, वहाँ इज्जत फरमाते |
राज-पाट उपभोग, अभय उनसे पा जाते ||

1 comment:

  1. वहुत सटीक कहा रविकर जी, और आभार मेरी कृति पर लिखने के लिए !

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