पी.सी.गोदियाल "परचेत"
रहे रिपु-दमन हैं विछा, पलक-पाँवड़े आज |
माँगे नोबुल शान्ति का, अपना सेक्युलर राज |
अपना सेक्युलर राज, लाज ना आती इस को |
उस दुश्मन पर नाज, सजा देनी है जिस को |
दिग्गी-शिंदे साब, वहाँ इज्जत फरमाते |
राज-पाट उपभोग, अभय उनसे पा जाते ||
वहुत सटीक कहा रविकर जी, और आभार मेरी कृति पर लिखने के लिए !
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