जिन्दा भारत-रत्न मैं, मैं तो बसूँ विदेश |
पता नहीं यह मीडिया, खुलवा दे क्या केस |
खुलवा दे क्या केस, करूँगा खुल के मस्ती |
नहीं किसी को क्लेश, मटरगस्ती कुछ सस्ती |
बना दिया भगवान्, करूं क्यूँकर शर्मिंदा |
बनकर मैं इंसान, चाहता रहना जिन्दा ||
सचिन घोंसला व्यग्र, अंजली अर्जुन सारा-
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स्वार्थ हमारा ले रहा, पिच दर पिच आनंद |
प्रतिपल के उन्माद में, तथ्य भूलते चन्द |
तथ्य भूलते चन्द, महामानव है बन्दा |
रेफलेक्सेज नहिं मंद, गगन छू चुका परिंदा |
सचिन घोंसला व्यग्र, अंजली अर्जुन सारा |
बच्चों का अधिकार, छीनता स्वार्थ हमारा ||
चौबिस वर्षों तक जमा, रहा जमाना ताक-
बहा नाक से खून पर, जमा पाक में धाक |
चौबिस वर्षों तक जमा, रहा जमाना ताक |
रहा जमाना ताक, टेस्ट दो सौ कर पूरे |
कर दे ऊँची नाक, बहा ना अश्रु जमूरे |
चला मदारी श्रेष्ठ, दिखाके करतब नाना |
ले लेता संन्यास, उम्र का करे बहाना |।
मेजर ध्यानचंद भारत के रत्न !
ReplyDeleteबहुत खूब !
बहुत खूब !
ReplyDeleteक्या बात है...बात की बात है....बहुत खूब ...अब मेजर भारत रत्न लेकर करेंगे भी क्या ....
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