अड़ियल टट्टू आपका, अड़ा-खड़ा मझधार |
लेना देना साथ भी, लागे भ्रष्टाचार |
लागे भ्रष्टाचार, दीखने लगा *अड़ाड़ा |
भाड़ा पूरा पाय, पढ़ाये आज पहाड़ा |
ताके पूरा देश, हमेशा बेहतर दढ़ियल |
टस से मस ना होय, महत्वाकांक्षी अड़ियल ||
*आडम्बर, ढोंग
अभी अपेक्षा आप, करो दिल्ली की पूरी-
नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ ।
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ ।
दुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
अभी अपेक्षा आप, करो दिल्ली की पूरी ।
पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा ।
वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥
बहुत सही उवाच १
ReplyDeleteनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
अब जीतने के बाद ऐसा दंभ रखने का तो हक है उन्हें ..
ReplyDeleteहा हा टटटू :)
ReplyDeleteबढ़िया रचना |
ReplyDeleteबहुत खूब .. सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeletezabardast kaam kiya ji...........
ReplyDeleteदुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
ReplyDeleteआपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी ।
अपेक्षा अब "आप "करो दिल्ली की पूरी
बढ़िया प्रस्तुति ,बढ़िया सेतु संयोजन एवं चयन बढ़िया चर्चा मंच।
आपकी हर रचना मननीय है कविवर !! आभार आपका !!
ReplyDelete