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Friday, 6 December 2013

व्यर्थ रेप कानून, कहे इत खुल्लम खुल्ला-

अब्दुल्ला दीवानगी, देख बानगी एक |
करे खिलाफत किन्तु फिर, देता माथा टेक |

देता माथा टेक, नेक बन्दा है वैसे |
किन्तु तरुण घबराय, लिफ्ट की लिप्सा जैसे |

व्यर्थ रेप कानून, कहे इत खुल्लम खुल्ला |
उसका राज्य विशेष, जानता उत अब्दुल्ला ||

रविकर करो सफ़ेद, कलेजा अपना काला-

पाला पड़ता इस कदर, पौधा दिया गलाय |
उनके पाले जो पड़े,  *पालागन कर जाय |
*पैर लगना, नमस्कार करना 

*पालागन कर जाय, अन्यथा बच ना पाये |
जाय चांदनी जीत, धूप को मौसम खाये | 

रविकर करो सफ़ेद, कलेजा अपना काला |
मकु होवे नरमेध, सोच गर कुत्सित पाला ||

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