रविकर-पुंज
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Wednesday, 4 December 2013
सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल-
पेशी साईँ की इधर, फूल बिछाते फूल |
सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल |
साईँ करो क़ुबूल, किन्तु नहिं जुर्म कबूला |
झोंक आँख में धूल, सतत दक्षिणा वसूला |
बेशक नारा ढील, किन्तु फॉलोवर वेशी |
भागा लाखों मील, हुई दिल्ली में पेशी ||
2 comments:
सुशील कुमार जोशी
4 December 2013 at 01:38
हा हा बहुत सुंदर !
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SM
5 December 2013 at 12:20
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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हा हा बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
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