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Thursday, 10 October 2013

हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल-

हाँ से खेलें देह दो, वर्षों कामुक खेल |
दर्ज शिकायत इक करे, हो दूजे को जेल |

हो दूजे को जेल, नौकरी शादी झाँसा |
यह सिद्धांत अपेल, बना अब अच्छा-खाँसा |

हुई मौज वह झूठ, कौन अब किसको फाँसे 
रिश्ते की शुरुवात, हुई थी लेकिन हाँ से |

5 comments:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11-10-2013) को " चिट़ठी मेरे नाम की (चर्चा -1395)" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
    नवरात्रि और विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. अजी क्या बात है क्या अंदाज़ है आपका।

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  3. ये भी एक कटु सत्‍य है

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  4. सुन्दर अंदाज़...बहुत बहुत बधाई...

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