बच्चा बँटता इस तरह, ज्यों बच्चों का खेल |
रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल |
रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल |
आतंकी भी फेल, दुधमुहाँ नए ठिकाने |
लगा ठिकाने बाप, गई माँ जिसे बहाने |
घर घर बच्चा माँग, यहाँ नक्सल को गच्चा |
वहाँ पाक में स्वाँग, खेल में बँटता बच्चा ||
बहुत सशक्त.
ReplyDeleteरामराम.
मार्मिक प्रसंग व्यंग्य विड्म्बन बे शुमार।
ReplyDeleteमारू दोहे हैं रविकर के,इनकी चोट कही न जाए !
ReplyDeleteतिरछे घाव लगें बैरी के,मिर्ची लगे हवा के साथ !
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।
ReplyDeleteमार्मिक प्रसंग व्यंग्य विडंबन बे शुमार।
ReplyDeleteरविकर-पुंज
बच्चा बँटता इस तरह, ज्यों बच्चों का खेल |
रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल |
आतंकी भी फेल, दुधमुहाँ नए ठिकाने |
लगा ठिकाने बाप, गई माँ जिसे बहाने |
घर घर बच्चा माँग, यहाँ नक्सल को गच्चा |
वहाँ पाक में स्वाँग, खेल में बँटता बच्चा ||
दुखद...
ReplyDelete~सादर!
मार्मिक प्रसंग
ReplyDeleteउत्तम पोषण कैसे दे? ब्रेन कों !पढ़िए नया लेख-
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मार्मिक और सटीक है भाई ...
ReplyDeleteभ्रमर ५
आई इतनी शुभ घडी
फिर भी रहे छिपाए
सूरज उग गयो भोर हुआ
क्या उजियारा छिप पाए ??
केक कैंडिल गुब्बारा ले मित्र मण्डली आई
गुंजन करते 'भ्रमर' पुष्प सब कलियाँ भी मुस्काईं
हैप्पी बर्थ डे टू यू
हैप्पी बर्थ डे टू यू
रविकर मेरे भाई ........
भ्रमर ५
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती
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