बचती भैया बोलकर, चर्चित दिल्ली-केस |
पर बचती नहिं बालिका, बापू करते ऐश |
पर बचती नहिं बालिका, बापू करते ऐश |
बापू करते ऐश, प्रवन्चन इनका प्रवचन |
कर खुद का कल्याण, वासना रखता तन-मन |
मरें किन्तु दाभोल, बात रविकर नहिं पचती |
जीते ढोंगी साधु, जहाँ बच्ची नहिं बचती |
प्रवन्चना = धोखा
ये बापू नही कुछ और ही हैं.
ReplyDeleteरामराम.