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Wednesday, 21 August 2013

बापू करते ऐश, प्रवन्चन इनका प्रवचन-

बचती भैया बोलकर, चर्चित दिल्ली-केस |
पर बचती नहिं बालिका,  बापू करते ऐश |

बापू करते ऐश, प्रवन्चन इनका प्रवचन  |
कर खुद का कल्याण, वासना रखता तन-मन |

मरें किन्तु दाभोल, बात रविकर नहिं पचती |
जीते ढोंगी साधु, जहाँ बच्ची नहिं बचती |
प्रवन्चना = धोखा

1 comment:

  1. ये बापू नही कुछ और ही हैं.

    रामराम.

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