गुर्राता डालर खड़ा, लड़ा ठोकता ताल |
रुपिया डूबा ताल में, पाए कौन निकाल |
रुपिया डूबा ताल में, पाए कौन निकाल |
पाए कौन निकाल, बहे दल-दल में नारा |
मगरमच्छ सरकार, अनैतिक बहती धारा |
घटते यहाँ गरीब, देखिये फिर भी तुर्रा |
पानी में दे ठेल, भैंसिया फिर तू गुर्रा ||
उखड़े मुखड़े पर उड़े, हवा हवाई धूल ।
आग मूतते हैं बड़े, गलत नीति को तूल ।
गलत नीति को तूल, रुपैया सहता जाए ।
डालर रहा डकार, कौन अब लाज बचाए ।
बहरा मोहन मूक, नहीं सुन पाए दुखड़े ।
हारे भारत दाँव, सदन हत्थे से उखड़े ॥
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गिरता है गिरता रहे, पर पाए ना पार |
रूपया उतना ना गिरे, जितना यह सरकार |
जितना यह सरकार, नरेगा नरक मचाये |
बस पनडुब्बी रेल, मील मिड डे भी खाए |
लेता फ़ाइल लील, सदन में भुक्खड़ फिरता |
मँहगाई में डील, रुपैया नेता गिरता ||
रूपया उतना ना गिरे, जितना यह सरकार |
जितना यह सरकार, नरेगा नरक मचाये |
बस पनडुब्बी रेल, मील मिड डे भी खाए |
लेता फ़ाइल लील, सदन में भुक्खड़ फिरता |
मँहगाई में डील, रुपैया नेता गिरता ||
रोके से ना रोकड़ा, ले रुकने का नाम ।
रुपिया रूप कुरूप हो, मचा रहा कुहराम ।
मचा रहा कुहराम, हुआ अब राम भरोसे ।
मँहगाई की मार, गरीबी जीवन कोसे ।
कह गरीब के साथ, हाथ नित बम्बू ठोके ।
डालर हँसता जाय, रहे पर रुपिया रो के ॥
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परेशान ना होईये
ReplyDeleteमोहन डुबा रहा है
बस कुछ देर में
नमो नमो निकालने
के लिये ही आ रहा है !
हमारे इन तथाकथित अर्थशास्त्रियों ने बेडा गरक कर दिया देश का ! भगवान् जाने कहाँ से और कैसे डिगरिया हासिल की !
ReplyDeleteभगवान जाने क्या हाल होंगे? बहुत सटीक और सामयिक.
ReplyDeleteरामराम.
भविष्य में किसी अर्थ शास्त्री को प्रधान मंत्री नहीं होना चाहिए
ReplyDeletelatest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
latest post नेता उवाच !!!
देश विकट परिस्थितियों में से गुजर रहा है.
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