चिंतित मानस पटल है, विचलित होती बुद्धि |
प्रतिदिन पशुता बलवती, दुष्कर्मों में वृद्धि |
दुष्कर्मों में वृद्धि, कहाँ दुर्गा है सोई |
क्यूँ नहिं होती क्रुद्ध, जगाये उनको कोई |
कर दे माँ उपकार, दया कर दे माँ समुचित |
हम बेटी के बाप, हमेशा रहते चिंतित ||
बहुत सटीक प्रस्तुति !
ReplyDeletelatest post: यादें
हो बेटी के बाप किस्मत बहुत अच्छी है पाई
ReplyDeleteचिंता की कोई बात नहीं समझो इसको भाई
समझो इसको भाई जो भी इस दुनिया में है आता
उसका पूरा राशन भी ईश्वर साथ में है भिजवाता !
वर्तमान परिदृश्य में ये सटीक और सार्थक हैं.....
ReplyDeleteसाभार.....
कर दे माँ उपकार, दया कर दे माँ समुचित |
ReplyDeleteहम बेटी के बाप, हमेशा रहते चिंतित ||
मार्मिक यथार्थ हमारे वक्त का भारत के सन्दर्भ में शेष सभी जगह महिला का सम्मान है।
मार्मिक यथार्थ हमारे वक्त का भारत के सन्दर्भ में शेष सभी जगह महिला का सम्मान है। यहाँ
ReplyDeleteउसके-
बलात्कारी हत्यारे को नाबालिग बतलाया जाता है ,
सब दंगै बलवाइयों को सेकुलर बतलाया जाता है ,
टोपी जो पहने गोल गोल मंत्री मुख्य बतलाया जाता है ,
बिलकुल सही कहा आदरणीय...
ReplyDeleteकर दे माँ उपकार, दया कर दे माँ समुचित |
हम बेटी के बाप, हमेशा रहते चिंतित |
क्यों तुम चिंतित से लगते
ReplyDeleteहो, बेटी जीत दिलाएगी !
विदुषी पुत्री जिस घर जाए
खुशिया उस घर आएँगी !
कर्मठ बेटी के होने से , बड़े आत्म विश्वासी गीत !
इसके पीछे चलते चलते,जग सीखेगा,जीना मीत !
प्रिय रविकर जी वर्तमान परिदृश्य को उकेरती और आज के दर्द को व्यक्त करती अच्छी रचना काश लोग मानव बनें
ReplyDeleteभ्रमर ५
क्या ज़माना आ गया है..
ReplyDeleteलडकियों को अपने अंदर की दुर्गा को जगाना होगा।
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