रविकर-पुंज
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Wednesday, 4 September 2013
लो सब्जी दी तौल, जेब तो रखो खोलकर-
तोल-मोल कर व्यर्थ ही, त्योरी रहे चढ़ाय |
लेना है तो टका दो, इक तोला ही आय |
इक तोला ही आय, अन्यथा नापो रस्ता |
मँहगा आलू प्याज, रुपैया पल पल सस्ता |
लो सब्जी दी तौल, जेब तो रखो खोलकर |
झोले का क्या काम, नहीं अब तोल मोल कर ||
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