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Friday 20 April 2012

संसाधन को लूट, व्यर्थ करते उदघोषण

शोषण करते धरा का, पोषण कर-कर दैत ।
सारे विकसित देश हैं, अजगर-मकर-करैत ।

अजगर-मकर-करैत, निगलते फाड़ें काटें ।
चले दुरंगी चाल, लड़ावैं हड़पैं बाँटें ।

संसाधन को लूट, व्यर्थ करते उदघोषण । 
बड़ा चार सौ बीस, बढ़ाता जाता शोषण ।।

6 comments:

  1. अजगर अजर-अमर हुये, मगरमच्छ दीर्घायु
    खरहा बकरी मछलियाँ , दीन हीन अल्पायु
    दीन हीन अल्पायु , उमर भर जी ना पाते
    राजा बब्बर शेर , उसे क्या पीर सुनाते
    सजा हुआ दरबार, हैं बैठे हिंसक ,विषधर
    फरियादी कहँ जाँय ,द्वारपाल भये अजगर.

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    1. अजगर सिस्टम रूप है, नित्य लीलता नीति |
      कान्हा लीला कर रहे, है यह कैसी रीति |
      है यह कैसी रीति, अघासुर नहीं अघाया |
      है परजा भयभीत, टैक्स पर टैक्स चुकाया |
      जब गोकुल पर भीर, खड़े थे कान्हा तनकर |
      सुनो हमारी पीर, लीलता जाए अजगर ||

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  2. विकत समस्या डेश की, अद्भुत आपकी बात,
    कुत्ते की सब पूंछ हैं यह नेतन की जात.
    यह नेतन की जात,बने हैं सिर्फ खोट के,
    सर्प चोट पर काटे, नेता बिना चोट के.

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    1. सर्प चोट पर काटे, नेता बिना चोट के |
      बहुत बढ़िया भाई साहब -

      सर्प ओट में रहते, नेता सदा वोट के ||
      सादर |

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  3. संसाधन को लूट, व्यर्थ करते उदघोषण ।
    बड़ा चार सौ बीस, बढ़ाता जाता शोषण ।।

    बेहतरीन ।

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  4. मुर्गी चोर पकड़ा जाये|
    हाथी चोर हलुवा खाए|
    संसाधन को लूट, व्यर्थ करते उदघोषण
    कटु सत्य है...

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