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Friday, 17 January 2014

बेंचे धर्म-इमान, ख़रीदे कुल मुख्तारी -

हमाहमी हरहा हिये, लिये जाति-च्युत होय |
ऐसी अवसरवादिता, देती साख डुबोय |

देती साख डुबोय, प्रबंधन कौशल भारी |
बेंचे धर्म-इमान, ख़रीदे कुल मुख्तारी |

रविकर जाने मर्म, आप की जाने महिमा |
आम आदमी तंग, वक्त भी सहमा सहमा || 

सपने नयनों में पले, वाणी में अरदास-

सपने नयनों में पले, वाणी में अरदास |
बुद्धि बनाये योजना, करे कर्म तनु ख़ास |

करे कर्म तनु ख़ास, पूर्ण विश्वास भरा हो |
शत-प्रतिशत उद्योग, भाग्य को तनिक सराहो |

पाय सफलता व्यक्ति, लक्ष्य पा जाये अपने |
रविकर इच्छा-शक्ति, पूर्ण कर देती सपने ||

3 comments:

  1. दोनों ही रचनाएं उम्दा ....खासकर "इच्छा शक्ति पूर्ण कर देती सपने'

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  2. dono hi kritiyan achhi hain.

    shubhkamnayen

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