हमाहमी हरहा हिये, लिये जाति-च्युत होय |
ऐसी अवसरवादिता, देती साख डुबोय |
देती साख डुबोय, प्रबंधन कौशल भारी |
बेंचे धर्म-इमान, ख़रीदे कुल मुख्तारी |
रविकर जाने मर्म, आप की जाने महिमा |
आम आदमी तंग, वक्त भी सहमा सहमा ||
सपने नयनों में पले, वाणी में अरदास-
सपने नयनों में पले, वाणी में अरदास |
बुद्धि बनाये योजना, करे कर्म तनु ख़ास |
करे कर्म तनु ख़ास, पूर्ण विश्वास भरा हो |
शत-प्रतिशत उद्योग, भाग्य को तनिक सराहो |
पाय सफलता व्यक्ति, लक्ष्य पा जाये अपने |
रविकर इच्छा-शक्ति, पूर्ण कर देती सपने ||
दोनों ही रचनाएं उम्दा ....खासकर "इच्छा शक्ति पूर्ण कर देती सपने'
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeletedono hi kritiyan achhi hain.
ReplyDeleteshubhkamnayen