२१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२
काम से तो रोज घूमे काम बिन भी घूम बन्दे |
नाम में कुछ ना धरा गुमनाम होकर झूम बन्दे | |
बेवजह ही बेसबब भी दूर तक बेफिक्र टहलो -
कुछ करो या ना करो हर ठाँव को ले चूम बन्दे ।
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बेवफा है जिंदगी इसको नहीं ज्यादा पढो अब -
दर्शनों में आजकल मचती रही यह धूम बन्दे ।
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दे उड़ा धन-दौलतें सब, कौन तू लाया जहाँ में-
मस्तियाँ देखो निकलकर पस्त हो मत सूम बन्दे ।
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ले पहन रविकर लँगोटी, एक खोटी सी चवन्नी -
राह पर चौकस उछालो, जब नहीं मालूम बन्दे ।।
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बहुत खूबशूरत सुंदर प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
मस्ती का आलम साथ चला हम घूल उड़ाते जहाँ चले!
ReplyDeleteवाह-वाह !शानदार !!
ReplyDeleteआप टिप्पणियों में काव्य बहुत झाड़ते है इसलिए एक मैं भी अपनी टिपण्णी में झाड कर देखता हूँ :))
उपज पे रसायन मेहरबान हुए, कुछ भी न पौष्टिक बचा,
गर कवक ही खानी है तुझको, खा के देख मसरूम बन्दे।
सत्यानाश हो इस स्पैम का, जो मेरी टिपण्णी खा गई,
ReplyDeleteमेहनत का ऐसी फायदा क्या, जाना पड़े जह्हनूम बन्दे। :) :)
बेहतर लेखन !!
ReplyDeletepadhkar bahut achha laga:)
ReplyDeletedhanyawaad in panktiyo ke liye.
ReplyDeleteअपने ही अंदाज़ की बंदिश संवाद करती हुई बतियाती उपदेश देती हुई सी .
वाह ... बहर में रंगें है रंग आज ...
ReplyDeleteनाम में कुछ ना धरा गुमनाम होकर झूम बन्दे
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
नव वर्ष चौतरफा शुभ हो आपके आसपास 24x7x365 दिन
ReplyDeleteवर्ष 2013 आपको सपरिवार शुभ एवं मंगलमय हो ।शासन,धन,ऐश्वर्य,बुद्धि मे शुद्ध-भाव फैलावे---विजय राजबली माथुर
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ReplyDeleteक्या बात है बंधु ! भाव राग रंग दर्शन सब एक संग .